अंतरर्राष्ट्रीय दिव्‍यांग दिवस- विकलांग लोग भी समाज का अहम हिस्सा, इन्हें मदद की खास जरूरत

अंतरर्राष्ट्रीय दिव्‍यांग दिवस- विकलांग लोग भी समाज का अहम हिस्सा, इन्हें मदद की खास जरूरत

सेहतराग टीम

आज 3 दिसंबर है और आज के ही दिन दुनियाभर में अंतरर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस या अंतरर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। अंतरर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाने का मुख्य उद्देशय समाज की विकलांग लोगों के प्रति सोच को बदलना और विकलांग लोगों को समाज में अहम हिस्सा बनाना है। यह दिवस उन्हें आत्म-सम्मान, अधिकार और विकलांग व्यक्तियों के बेहतर जीवन के लिए समर्थन प्रदान करने के लिए एक उद्देश्य के साथ मनाया जाता है। एक दिवस के तौर पर इस आयोजन को मनाने की औपचारिक शुरुआत वर्ष 1992 से हुई थी। जबकि इससे एक वर्ष पूर्व 1991 में सयुंक्त राष्ट्र संघ ने 3 दिसंबर से प्रतिवर्ष इस तिथि को अंतरर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस के रूप में मनाने की स्वीकृति प्रदान कर दी थी।

विश्व विकलांग दिवस को मनाना जरूरी क्यों है-

ज्यादातर लोग ये भी नहीं जानते कि उनके घर के आस-पास समाज में कितने लोग विकलांग हैं। समाज में उन्हें बराबर का अधिकार मिल रहा है कि नहीं। अच्छी सेहत और सम्मान पाने के लिये तथा जीवन में आगे बढ़ने के लिये उन्हें सामान्य लोगों से कुछ सहायता की ज़रुरत है, । लेकिन, आमतौर पर समाज में लोग उनकी सभी ज़रुरतों को नहीं जानते हैं। आँकड़ों के अनुसार, ऐसा पाया गया है कि, लगभग पूरी दुनिया के 15% लोग विकलांग हैं।

इसलिये, विकलांगजनों की वास्तविक स्थिति के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिये इस उत्सव को मनाना बहुत आवश्यक है। विकलांगजन “विश्व की सबसे बड़ी अल्पसंख्यकों” के तहत आते हैं और उनके लिये उचित संसाधनों और अधिकारों की कमी के कारण जीवन के सभी पहलुओं में ढ़ेर सारी बाधाओं का सामना करते हैं।

विश्व विकलांग दिवस का इतिहास-

वर्ष 1976 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा द्वारा 'विकलांगजनों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष' के रुप में वर्ष 1981 को घोषित किया गया था। अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर विकलांगजनों के लिये पुनरुद्धार, रोकथाम, प्रचार और बराबरी के मौकों पर जोर देने के लिए इस योजना को जन्म दिया गया।

विकलांग व्यक्तियों को समाज में विकास के बराबर अवसर, विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के बारे में लोगों को जागरुक करने से लेकर सामान्य नागरिकों की तरह उनकी सेहत पर भी ध्यान देने के साथ उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिये “पूर्ण सहभागिता और समानता” का थीम विकलांग व्यक्तियों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष के उत्सव के लिये निर्धारित किया गया था।

 

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